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पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं-अर्थ


- पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं इसका शाब्दिक अर्थ है कि फिर से जागना |
- पश्चिमी सभ्यता के विकास में इसका संबंध 14 वी से 16 वी शताब्दी के मध्य हुई उस सांस्कृतिक प्रगति से है जो प्राचीन यूनानी और रोमन सभ्यता व संस्कृति से प्रभावित थी |
- पुनर्जागरण मध्यकालीन सामंती यूरोप एवं आधुनिक प्रगतिशील यूरोप के मध्य एक युग विभाजक काल है | व्यापक संबंधों में पुनर्जागरण 14 वी से 16वीं शताब्दी के मध्य यूरोप में हुए विभिन्न बौद्धिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक आंदोलनों को सम्मिलित रूप से दिया गया नाम है जिसने आधुनिक यूरोप की आधारशिला तैयार की |
- रेनेसा इटली भाषा का शब्द है |
पुनर्जागरण के लक्षण
पुनर्जागरण के लक्षण
- परंपरा एवं आधुनिकता का समन्वय |
- पुनर्जागरण के लक्षण मनुष्य का बौद्धिक विकास करते हुए जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को तर्क की कसौटी पर कस कर देखने की दृष्टि विकसित की |
- इसके माध्यम से व्यक्तिवाद एवं आलोचना वाद को महत्व दिया | पारलौकिक की जगह इहलौकिक केंद्र में आया |
- सार्वभौमिकता एवं तर्क बुद्धिवाद का उद्भव एवं विकास हुआ |
- यथार्थ की संपूर्ण अभिव्यक्ति को महत्व मिला |
- अब दर्शन के केंद्र में मनुष्य तथा प्रकृति संबंधी चिंतन आ गया |
पुनर्जागरण का कारण
- पुनर्जागरण का कारण सामंतवाद का पतन प्रारंभ होने से पुनर्जागरण के तत्वों को बढ़ने का मौका मिला क्योंकि सामंतवाद के रहते हुए तत्कालीन रूढ़िवादी व्यवस्था में किसी प्रकार का बौद्धिक सांस्कृतिक परिवर्तन संभव नहीं था |
- राष्ट्र राज्यों का गठन- इसका उदय 15 वीं सदी में सामंतवाद के पतन से संबंधित है | तत्कालीन संदर्भ में राष्ट्र राज्यों के रूप में जिस राजनीतिक संरचना का विकास हुआ उसकी मूल विशेषता थी- सामंती व्यवस्था के स्थान पर राजा के पास सर्वोच्च शक्ति का विकास |
- राष्ट्र राज्यों के विकास में सामंतवाद को कमजोर करने के लिए पुनर्जागरणवादी तत्वों को बढ़ावा दिया क्योंकि पुनर्जागरण सामंतवाद की रूढ़िवादी व्यवस्था का विरोधी था |
- इस प्रकार सामंतवाद के टूटने से राष्ट्र राज्य अधिक सशक्त हुए 15 वी 16 वीं सदी भौगोलिक खोजों की सदी थी | इन खोजों के द्वारा विश्व के विभिन्न क्षेत्रों का एकीकरण प्रारंभ हुआ |
- इसे वर्तमान भूमंडलीकरण की प्रक्रिया के प्रारंभ के रूप में भी देखा जा सकता है | पुनर्जागरण का कारण पुनर्जागरण की चेतना ने नये नये देशों की खोज करने और समुद्री रास्तों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
- 1487 में बार्थोलोम्यू डियाज़ अफ्रीका के तट पर पहुंचा जिसे केप ऑफ गुड होप का नाम दिया गया |
- इसी रास्ते से होकर 1498 में वास्को डी गामा भारत पहुंचा |
- 1492 में कोलंबस ने अमेरिका की खोज की | अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया तथा उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद का आधार किया |
- बेकन ने अपने समय को अज्ञान का युग बताया | उन्होंने अरस्तू इस बात पर तो बल दिया कि प्रयोग करो, किंतु वह अरस्तु का विरोध इसलिए करते थे कि यूरोप के विद्वान अरस्तु के भद्दे लैटिन अनुवाद के मनन एवं अध्ययन में ही व्यस्त रहते थे |
- उससे आगे कुछ नहीं देखते थे | बेकन ने कहा यदि मेरा वश चलता तो मैं अरस्तु के सारे ग्रंथों को आग में फेंक देता क्योंकि इसके अध्ययन से एक तो वृथा समय नष्ट होता है और दूसरे मिथ्या विचारों के उदय होने के कारण अज्ञान बढ़ता है |
- वैज्ञानिक प्रयोगों में बेकन की बड़ी रूचि थी तथा विद्वान के क्षेत्र में उन्होंने जिन जिन आविष्कारों की कल्पना की वह सभी बाद में कार्यान्वित हुए |
- बेकन ने कहा ऐसी गाड़ी बन सकती है जो बिना किसी पशु की सहायता से चलाएं हुए भी युद्ध रथों के समान तीव्रता से चल सकती है | ऐसी मशीन का भी बनना संभव है जो मनुष्य को उड़ते हुए पक्षी के सामान कृत्रिम परो को फड़फड़ाती हुई वायुमंडल में घात प्रतिघात करती विचरने लगे |
- बाद में बेकन के सपने साकार हुए सड़कों पर गाड़ियां भी चली और हवाई जहाज भी उड़ने लगे | यद्यपि रोजर बेकन जैसे साहसी और तर्क प्रेमी विचारक कम हुए तथापि इस पंडित पंथी आंदोलन से पुनर्जागरण को बहुत बल मिला |
- 1453 में उस्मानी तुर्को ने पूर्वी रोमन साम्राज्य की राजधानी कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया जो ज्ञान विज्ञान का केंद्र था | वहां बहुत से लेखक, वैज्ञानिक, कलाकार इटली, फ्रांस, जर्मनी की ओर पलायन कर गए और अपने साथ में प्राचीन यूनानी एवं रोमन ज्ञान विज्ञान और चिंतन पद्धति को भी ले गए |
पुनर्जागरण की विशेषताएं
- पुनर्जागरण की विशेषताएं यूरोप की मध्यकालीन सभ्यता कृत्रिमता और कोरे आदर्श पर आधारित थी सांसारिक जीवन को मिथ्या बतलाया जाता था यूरोप के विश्वविद्यालयों में यूनानी देश का अध्ययन होता था |
- रोजर बेकन ने अरस्तु की प्रधानता का विरोध किया और तर्क वाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया इससे मानवतावाद का विकास हुआ | मानवतावादी ने चर्च और पादरियों के कट्टरपन की आलोचना की |
- मानवतावाद मानव को केंद्र में रखते हुए उसे व्यापक जीवन संदर्भ में स्थापित करने वाली विचारधारा का नाम है इसे मानव का, मानव के द्वारा एवं मानव के लिए से संबंधित विचारधारा भी कहा जा सकता है |
- मानवतावाद पुनर्जागरण की विशेषताएं है इसे पुनर्जागरण का मूल आधार भी कहा जा सकता है |
आधुनिक शिक्षा
- आधुनिक शिक्षा शिक्षा और साहित्य पर पुनर्जागरण का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था |
- मानवतावादी दृष्टिकोण के प्रभाव से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए |
- नई शिक्षा पद्धति में व्याकरण वक्तृता कविता निती और इतिहास जैसे विषय शामिल थे |
- यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों की स्थापना होने लगी थी |
- स्पेन के विश्व प्रसिद्ध कॉर्डोबा विश्वविद्यालय ने यूरोप में नवीन विचारों का प्रचार किया |
छपाई
- छपाई मध्यकाल में अरबों के माध्यम से यूरोप वासियों ने कागज पर बनाने की कला सीखी |
- 12 वीं शताब्दी में अरब के लोगों ने यूरोप को चल मुद्रण कि उन तकनीकों से परिचित कराया जिनका विकास 11वीं सदी में चीनियों द्वारा किया गया था |
- 15वीं शताब्दी के मध्य में जर्मनी के गुटेनबर्ग नामक व्यक्ति ने प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किया और फिर धीरे-धीरे इटली जर्मनी स्पेन तथा फ्रांस में इस यंत्र का प्रयोग होने लगा कागज और मुद्रण तकनीक के विकास ने ज्ञान पर विशिष्ट लोगों के एकाधिकार को समाप्त कर दिया |
धर्मनिरपेक्षता का प्रभाव
- धर्मनिरपेक्षता पुनर्जागरण की एक महत्वपूर्ण विशेषता रही |
- धर्मनिरपेक्षता से तात्पर्य है धार्मिक आडंबर और अंधविश्वासों को दूर करना तथा मनुष्य के जीवन को धर्म के नियंत्रण से मुक्त कर इहलौकिक जीवन (सांसारिक जीवन) पर बल देना |
- पुनर्जागरण काल में लोगों के जीवन पर से धर्म का नियंत्रण कमजोर होने लगा |
- इसी का विकास स्वरूप धर्म सुधार आंदोलन में देखा जा सकता है धर्म ग्रंथों और ईश्वरी विषय के अतिरिक्त विविध प्रकार के ग्रंथों और विषयों का अध्ययन किया जाने लगा |
विवेक/तर्कबुद्धि का प्रसार
- आधुनिक शिक्षा के प्रभाव तथा वैज्ञानिकता के प्रसार से मनुष्य में तर्क बुद्धि का विकास होने लगा |
- लोगों में मनुष्य की बौद्धिक और नैतिक क्षमता में विश्वास बढ़ने लगा और सभी तथ्यों को तर्क की कसौटी पर पर रखकर देखा जाने लगा |
पुनर्जागरण का प्रभाव


- सही अर्थों में पुनर्जागरण का प्रभाव मानव के बौद्धिक एवं सांस्कृतिक विकास की महान यात्रा का प्रारंभ था जो बाद में धर्म सुधार आंदोलन तथा प्रबोधन के माध्यम से और अधिक सशक्त हुई |
- इसने मानव को परलोक की कल्पना से बाहर निकाल कर उसे इहलोक की वास्तविकता की ओर मोड़ा पुनर्जागरण ने मानव को साधन से साध्य बनने में महत्वपूर्ण योगदान दिया |
- पुनर्जागरण से आधुनिक विश्व के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ |
आर्थिक प्रभाव
- वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति ने औद्योगिकरण के नए युग का आधार तैयार किया |
- मध्ययुगीन गिल्ड व्यवस्था के स्थान पर पूंजीवादी व्यवस्था का आगमन हुआ |
राजनीतिक प्रभाव
- पुनर्जागरण का प्रभाव राजनीतिक प्रभाव राष्ट्र राज्यों के अंतर्गत जिस राजनीतिक संरचना का विकास हुआ उसकी मूल विशेषता थी सामंती व्यवस्था के स्थान पर राजा के पास सर्वोच्च शक्ति का होना |
- इससे एक राष्ट्रीय राज्य तंत्र का विकास प्रारंभ हुआ | पुनर्जागरण के परिणाम स्वरूप राजनीतिक दृष्टि से यूरोप में सामंतवाद का पतन हुआ तथा शक्तिशाली राष्ट्रों का उदय हुआ |
- राजनीतिक कार्यों में पॉप का हस्तक्षेप अनुचित बताया गया | मैक्यावली ने द प्रिंस नामक पुस्तक में आधुनिक राज्य व्यवस्था के चिंतन की शुरुआत की |
सामाजिक प्रभाव
- सामाजिक प्रभाव अब समाज में व्यक्तिगत सामर्थ्य एवं योग्यता पर बल दिया जाने लगा जिससे लोगों का दृष्टिकोण वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक हुआ |
- पुनर्जागरण के साथ-साथ नागरिक जीवन का महत्व बढ़ने लगा समाज में नए विषयों का प्रसार होने से व्यक्ति अधिक शिक्षित एवं जागरूक होने लगे |
- पुनर्जागरण में सामाजिक विषमताओं के उन्मूलन पर बल दिया गया और कुलीन वर्गों के विशेष अधिकारों के विरोध में आवाज उठाई |
- फलतः समाज में तनाव बढ़ने लगा सामाजिक संस्थाओं और मूल्यों में मौलिक परिवर्तन होने लगा |
धार्मिक प्रभाव
- धार्मिक प्रभाव बौद्धिक पुनर्जागरण का तात्कालिक प्रभाव मनुष्य के धार्मिक जीवन पर पड़ा सामान्य लोग भी धर्म के सच्चे स्वरूप को समझने में समर्थ हो गए |
- इसी समय पुनर्जागरण का प्रभाव धर्म सुधार आंदोलन की नींव तैयार की गई धर्म के प्रति लोगों का अंधविश्वास दूर होने लगा जिससे धर्म सुधार आंदोलन को और अधिक बल मिला |
सांस्कृतिक प्रभाव
- साहित्य पुनर्जागरण कालीन लौकिक भावना की सबसे अच्छी अभिव्यक्ति साहित्य में होती है |
- इटली में साहित्य के क्षेत्र में दांते पेट्रार्क बुकाशियो का नाम अग्रणी है | दांते 1265 1321 ईशवी को पुनर्जागरण का अग्रदूत एवं पुनर्जागरण काल का प्रथम व्यक्ति कहा गया है |
- राष्ट्रीय भाषाओं का विकास प्रारंभ हुआ | साहित्य में एवं मौलिक परिवर्तन सामने आए | इस काल में दांते (कविता) जीवनी मैक्यावली (द प्रिंस) आदि प्रमुख रचनाकार है |
- कला धार्मिक बंधनों से मुक्त होकर यथार्थवादी हो गई | पुनर्जागरण कालीन स्थापत्य में भी इस काल की विशेषताएं अभिव्यक्त होने लगी | इसके माध्यम से भी मानवीय स्वतंत्रता को महत्व दिया गया |
- पहले से चली आ रही गोथिक कला शैली में अनेक जैसे गोल मेहराब, गुंबद स्तंभ आदि का प्रयोग प्रारंभ हुआ | इन नए प्रयोगों को लंदन के सेंट पॉल चर्च तथा रोम के सेंट पीटर चर्च के संदर्भ में देखा जा सकता है |
- रोम के सेंट पीटर चर्च के निर्माण में एंजेलो एवं राफेल की भूमिका थी | संगीत इटालियन का दूसरा क्षेत्र था जिसमें अत्यधिक मौलिकता दिखाई पड़ती है | संगीत का मुख्य विकास 16वीं शताब्दी में हुआ था |
- इस काल में वाद्य संगीत लोकप्रिय हो गया और वाद्य यंत्र का आविष्कार हुआ | आधुनिक ओपेरा का जन्म इसी काल में हुआ | इसी के साथ-साथ पियानो और वायलिन का प्रचलन भी बढ़ गया |
- मूर्ति कला पुनर्जागरण काल की मूर्ति कला में भी परिवर्तन के नए तत्व समाहित हुए | पुनर्जागरण की मूर्तिकला जहां सिर्फ धर्म से संबंधित थी वही अब धर्म के साथ मानवीय तत्वों का भी समावेश हुआ |
- मूर्तियां सिर्फ चर्च के लिए सीमित न रहकर स्वतंत्र रूप से मानवीय जीवन के विभिन्न रूपों को अभिव्यक्त करने के लिए बनने लगी | इसमें मूसा की मूर्ति, मरियम और शिव की मूर्ति प्रमुख स्थान रखती है |
- चित्रकला इटली का पुनर्जागरण प्रमुख रूप से कला के क्षेत्र में हुआ | इसमें चित्रकारों शिल्प और स्थापत्य की विशेष उन्नति हुई |
- पुनर्जागरण काल के चित्रों का चुनाव आम जन जीवन से किया प्लास्टर और लकड़ी के स्थान पर कैनवास का प्रारंभ हुआ |
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