भारतीय राष्ट्रवाद


- अट्ठारह सौ सत्तावन के विद्रोह को कुचल देने के पश्चात भी अनेक वर्षों तक भारतीय राष्ट्रवाद देश के विभिन्न भागों में ब्रिटिश शासन की आर्थिक व प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध विद्रोह होते रहे |
- जनता में राजनीतिक और राष्ट्रीय चेतना उभरने लगी जिसके कारण एक अलग प्रकार का आंदोलन जन्म लेने लगा, जिसने जल्दी ही स्वतंत्रता के देशव्यापी संघर्ष का रूप धारण कर लिया |
- अंग्रेजों ने अपने राजनीतिक नियंत्रण के माध्यम से अपने आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए भारत पर शासन किया | भारतीय जनता के हितों में और अंग्रेजों के भारत पर शासन करने के उद्देश्यों में कोई साम्यता नहीं थी |
- भारतीयों में कुछ ऐसे वर्ग भी थे जिन्होंने अंग्रेजों को अपना शासन सशक्त बनाने में सहायता की थी | कुछ वर्गों को छोड़कर शेष भारत पर ब्रिटिश शासन के दौरान सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक जीवन में जो परिवर्तन हुए उससे जनता को एकजुट होने और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आंदोलन करने के लिए प्रेरणा मिली |
- यह परिवर्तन अंग्रेजों द्वारा अपने हित साधन के लिए अपनाई गई नीतियों के परिणाम थे | इनके परिणाम स्वरूप जनता ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एकजुट हुई ब्रिटिश शासन ने अपने साम्राज्यवादी एवं शोषणकारी कार्यों से स्वयं अपने विनाश के लिए परिस्थितियां उत्पन्न की |
राजनीतिक और प्रशासनिक एकता (भारतीय राष्ट्रवाद )
- ब्रिटिश शासन के अंतर्गत लगभग संपूर्ण देश का एक राजनीतिक इकाई के रूप में एकीकरण हुआ | ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में अनेक ऐसे क्षेत्र थे जहां भारतीय शासक शासन करते थे |
- वह पूर्व ब्रिटिश शासन की कृपा पर आश्रित थे और नाम मात्र के लिए स्वतंत्र थे | वह दूसरे देशों के साथ संबंध स्थापित नहीं कर सकते थे | दूसरे देशों से उनकी रक्षा की जिम्मेदारी पूर्ण ब्रिटिश शासन के हाथों में थी |
- इन राज्यों की जनता, ब्रिटिश प्रजा मानी जाती थी क्योंकि इनमें से कुछ राज्यों का निर्माण स्वयं अंग्रेजों ने किया था |
- भारत की राजनीतिक एकता एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, यद्यपि यह विदेशी शासन के अंतर्गत और उनके हित साधन के लिए प्राप्त की गई थी |
- इस एकता को ब्रिटिश शासित प्रदेशों में स्थापित प्रशासन की एक ग्रुप व्यवस्था ने अधिक मजबूत बनाया |
- कानून एकरूप बनाए गए और कम से कम सिद्धांत रूप में उन्हें प्रत्येक व्यक्ति पर समान रूप से लागू किया गया | कानून के सामने समानता, एकता का एक अंग बन गई |
- संपूर्ण देश में प्रशासन की समान व्यवस्था और एकरूप कानून में देश के विभिन्न भागों में निवास करने वाले लोगों में समानता एवं एकता की भावना को बढ़ाया |
आर्थिक परिवर्तन-भारतीय राष्ट्रवाद
- विभिन्न आर्थिक परिवर्तन जैसे व्यापार पर अपना आधिपत्य बनाए रखना व्यापारिक फसलों को बढ़ावा देना आदि अंग्रेजों द्वारा जनता पर बलपूर्वक आरोपित किए गए थे जिसके कारण जनता को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा |
- परंतु रेल मार्गो तथा सड़कों के निर्माण से क्षेत्रीय संपर्क में हुए वृद्धि ने लोगों को एकजुट करने और उनमें सामान आकांक्षाएं पैदा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया |
भारत में आधुनिक उद्योग की स्थापना-भारतीय राष्ट्रवाद
- भारत ब्रिटिश उत्पादकों के लिए बाजार और ब्रिटिश उद्योगों के लिए कच्चे माल का स्रोत बन गया | ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाई गई नीति के कारण भारत में उद्योगों का विकास बहुत धीमी गति से हुआ |
- आधुनिक व्यापार और उद्योग एकीकरण की प्रबल शक्तियां है, जो देश के विभिन्न भागों को एक दूसरे के समीप लाती है | उद्योगों में काम करने वाले लोग देश के विभिन्न क्षेत्रों, विभिन्न जातियों और संप्रदायों के होते हैं |
- अतः ऐसी परिस्थितियां पैदा होती है कि, उनमें जातीय, सांप्रदायिक और क्षेत्रीय तत्व समाप्त होने लगता है | कारखानों में काम करने वाले लोगों में भाईचारे की भावना पैदा होती है |
- इससे वे एकजुट होते हैं एवं विशेष मांगों के लिए आंदोलन करते हैं | फलस्वरूप नगर क्षेत्र राजनीतिक आंदोलन के केंद्र बन जाते हैं | इन सभी कारणों से उद्योगों के विकास ने लोगों को एक राष्ट्र के रूप में आबद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
- 19वीं सदी के उत्तरार्ध में भारत में प्रारंभ हुए आधुनिक उद्योगों के विकास में राष्ट्रीय चेतना को भरने में सहायता की | उद्योगों का विकास होने से समाज में दो महत्वपूर्ण वर्गों पूंजीपति वर्ग और औद्योगिक मजदूर वर्गों का उदय हुआ |
- इन दोनों वर्गों के अधिक विकास के लिए देश का औद्योगिकरण होना आवश्यक था | ब्रिटिश शासन भारत के औद्योगिक विकास में बाधक बना हुआ था, इसलिए वह इन दोनों वर्गों का भी विरोधी था | इनमें से प्रत्येक वर्ग के अपने सार्वजनिक हित भी थे |
- उदाहरण के लिए संपूर्ण देश के सूती कपड़ा कारखानों के मालिक अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों के कारण समान रूप से प्रभावित हुए थे और उनकी समस्याएं व उद्देश्य भी सामान थे |
आधुनिक शिक्षा का प्रभाव-भारतीय राष्ट्रवाद
- आधुनिक शिक्षा के प्रसार ने राष्ट्रीय चेतना भारतीय राष्ट्रवाद को उभारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई अंग्रेजी शिक्षा अंग्रेजों ने जिस उद्देश्य से शुरू की थी उसके कारण व उद्देश्य सीमित थे |
- ब्रिटिश शासक सोचते थे कि अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय उनके शासन के समर्थक बनेंगे परंतु राजा राममोहन राय जैसे भारतीय नेताओं ने अंग्रेजी शिक्षा का स्वागत प्रयोजनों से किया था उनका विचार था कि अंग्रेजी शिक्षा से भारत के लोगों को विश्व के उन्नत ज्ञान की जानकारी मिलेगी इससे भारतीयों को यूरोपीय भाषाओं के साहित्य और विश्व के अन्य भागों की घटनाओं की जानकारी मिल सकेगी |
- 18वीं और 19वीं सदी में पश्चिम में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए पश्चिम के महान विचार कोने जनतंत्र समानता और राष्ट्रवाद के समर्थन में ग्रंथ लिखे अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा और मानव एवं नागरिकों के अधिकारों की फ्रांसीसी घोषणा ने क्रांतिकारी विचारों को बल प्रदान किया जिससे प्रभावित होकर उन्होंने बलपूर्वक कहा कि किसी भी देश के वास्तविक शासक वहां के लोग होते हैं तथा लोगों को यह अधिकार है कि वह ऐसी सरकार को उखाड़ फेंके जो उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप काम नहीं करती और उनका उत्पीड़न करती है |
- शिक्षा ने भारतीयों के लिए आधुनिक ज्ञान के द्वार खोल दिए जिससे उन्हें राष्ट्रवादी एवं जनतांत्रिक विचार पनपने लगी दूसरे देशों के क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी आंदोलन उनके लिए प्रेरणा के स्रोत बन गए | संपूर्ण देश के शिक्षित भारतीयों का देश के समस्याओं के विषय में भारतीय राष्ट्रवाद एक समान दृष्टिकोण बनने लगा |
राजनीतिक संस्थाओं की स्थापना-भारतीय राष्ट्रवाद
- 19वीं सदी के मध्य काल के आसपास भारतीयों की राजनीतिक सभाएं स्थापित होने लगी इनकी स्थापना कोलकाता, मुंबई और मद्रास आदि प्रेसिडेंसी नगरों में हुई इन संस्था में देश के प्रशासन में भारतीयों को भारतीय राष्ट्रवाद भागीदार बनाने की मांग उठाई गई |
- भारतीय जनता के कल्याण और भारत और ब्रिटेन के ब्रिटिश अधिकारियों के पास आवेदन को भेजने के लिए 1852 ईसवी में बांबे एसोसिएशन की स्थापना हुई | ऐसे ही उद्देश्य के लिए 1852 में मद्रास नेटिव एसोसिएशन की स्थापना की गई |
- कुछ घटनाओं के कारण 1870 ईसवी और 1880 के दशक में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध और संतोष और अधिक बढ़ गया सरकार ने भारतीयों की मांगों को पूरा करने के प्रयासों के भारतीय राष्ट्रवाद विरुद्ध दमनकारी कदम उठाए |
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समाजशास्त्र (सोशियोलॉजी) की परिभाषा